अमरीकी राष्टृपति बराक ओबामो एक साक्षात्कार दे रहे थे और उसी समय एक मक्खी न जाने कहां से उनकी सुरक्षा को भेदती हुई उनके पास चक्कर लगाने लग गई।
ओबामा पहले तो संभले लेकिन बाद में उसके हर पल की हरकत को वह देखते रहे। मक्खी ने दुनिया के इस सर्व शक्तिमान पुरुष को कुछ ज्यादा ही परेशान कर दिया तो वह साक्षात्कार को छोड़ मक्खी पर ही कुछ देर के लिए खुद को फोकस किए रहे। उसके बाद देखिए हाथ का एक झटका लगा और मक्खी ओबामा के पांव में और उसके अगले ही पल मक्खी अपनी जान गवां चुकी थी। मक्खी बेचारी का क्या कसूर और ओबामा भी क्या करते लेकिन दुनिया भर के खबरिया चैनलों के लिए तो जैसे ब्रेकिंग न्यूज और कोई थी ही नहीं। शायद ओबामा ने भी ऐसा समाचार माध्यमों की तरफ इशारा कर पूछा था कि क्या अब यह भी खबर बनने वाली है। ऐसा ही हुआ। ओबामा का अनुमान सही था। चैनल और इंटरनेट माध्यम यह दिखाने में ज्यादा ही तत्पर दिखे और कुछ ही देर में पूरी दुनिया ने यह जान लिया कि एक शक्तिशाली पुरुष किस कदर मक्खी के कारण विचलित हो उठा और कैसे वह मारी गई।
सवाल यह नहीं है कि मक्खी मर गई। हम तो कुछ ओर ही सोच रहे थे। हमारे मन में आया कि मक्खी एक नहीं हजारों मरती होगी लेकिन वह तो मरी ओबामा के हाथों से है, जो मरते मरते अपने मक्खी वंश का नाम खबरों में ले आई। इसलिए मरों तो भी ऐसे कि मरते मरते भी मिल जाए ख्याती और नहीं तो ऐसे बनों की मक्खी भी मारों तो दुनिया जाने।
आप का ब्लाग अच्छा लगा...बहुत बहुत बधाई....
ReplyDeleteएक नई शुरुआत की है-समकालीन ग़ज़ल पत्रिका और बनारस के कवि/शायर के रूप में...जरूर देखें..आप के विचारों का इन्तज़ार रहेगा....
बेचारी मक्खी.. वाह भई वाह।
ReplyDeleteकिस्मत हो तो एसी। पहले टीवी पर, फिर अखबारों में और अब प्रख्यात पत्रकार भूपेन्द्रिसंह राव के ब्लाग पर। वाह...
लगे रहो....
सादर।
is makkhi ko paresaan karne do
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